Friday, February 9, 2018

पतझड़ की आहट...


बहुत शोर है हवाओं का 
सरसरा रहे हैं पत्ते
झूम रहे हैं पेड़ सभी
धूलों का बवंडर
उठ-उठ कर 
खिड़कियों के रास्ते
बिछ रहा कमरे की फ़र्श पर
मन भी ज़रा अनमना सा है
बताए कोई
यह बसंत है या
है पतझड़ की आहट....

3 comments:

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, वलेंटाइन डे पर वन विभाग की अपील “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

अभी तो फगुनाहट है

Udan Tashtari said...

vaah