Saturday, November 7, 2015

इस दीपावली


इस दीपावली
घर के हरेक कोने से
धूल-कचरा नि‍काल बाहर करते वक्‍त 

लगा
कि‍ मन में जमे गर्द को बुहारने को भी
होता एक झाड़ू
तो हम सारी बेकार बातें , बुरी यादें
और तकलीफ़देह पलों को
एक साथ जमा कर
कहीं बहुत दूर फेंक आते

तब
हमारे घर सा ही
जगमग करता हमारा मन भी
नए दि‍यों की तरह
नई भावनाओं, नई उमंगों की लड़ि‍यां
हम सजाते
खुशि‍यों की फुलझड़ि‍यां छोड़
गमों को पटाखे की तरह तीली दि‍खा
बहुत दूर भाग आते


इस दीपावली
दराज के कोने में चि‍पकी
तस्‍वीरों की तरह
मन में छि‍पा बचपन खींच लाएंं
छत के जंगले पर कंदील टांग
ताली बजा खुश हो जाएं
घी के दि‍ये सी पवि‍त्र मुस्‍कान चेहरे पर सजाएं


आओ, इस दीपावली
हम अपने मन को भी धो-पोंछ कर चमका लें 
वि‍गत के हर दर्द को
अपने मन से बुहार लें 
हो जाएं उज्‍जवल, वि‍कारवि‍हीन
कि‍सी के लि‍ए मन में
कोई द्वेष न पालें
जगमग-जगमग दीप जला लें। 

10 comments:

कविता रावत said...

आओ, इस दीपावली
हम अपने मन को भी धो-पोंछ कर चमका लें
वि‍गत के हर दर्द को
अपने मन से बुहार लें
हो जाएं उज्‍जवल, वि‍कारवि‍हीन
कि‍सी के लि‍ए मन में
कोई द्वेष न पालें
जगमग-जगमग दीप जला लें।
..बहुत सुन्दर सन्देश
ज्योति पर्व की हार्दिक शुभकामनायें!

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आज का पंचतंत्र - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

जमशेद आज़मी said...

दीपावली आई गई। अब गंदगी की खैर नहीं। कोना कोना झाड़ कर ही दम लेंगें।

RD Prajapati said...

रश्मि जी बहुत सुन्दर रचना

RD Prajapati said...

रश्मि जी बहुत सुन्दर रचना

kuldeep thakur said...

जय मां हाटेशवरी....
आप ने लिखा...
कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
दिनांक 09/11/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर... लिंक की जा रही है...
इस चर्चा में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
कुलदीप ठाकुर...


Rishabh Shukla said...

सुन्दर रचना ......

Rishabh Shukla said...

सुन्दर रचना

रश्मि शर्मा said...

Bahut-bahut dhnyawad aapka

रश्मि शर्मा said...

Charcha manch me shamil karne ke liye aapka aabhar aur dhnyawad