Wednesday, July 24, 2013

आसमान....


ये कैसी आग है जो आस्‍मां को भी जला रही है
सच कहना, तेरे सीने में कोई ज्‍वालामुखी तो नहीं


सूरज

लांघी न जाए, वक्‍त ऐसी सीढ़ि‍यों का गुलाम नहीं होता
प्‍यार होता है, दि‍ल जानता है, मगर चर्चा आम नहीं होता
हर सुबह नई होती है मगर सूरज रोज वही होता है
कुछ देर ग्रहण लगने से सूरज हमारे लि‍ए नाकाम नहीं होता



तस्‍वीर...शाम की जि‍से देख कर उपर की पंक्‍ति‍यां मेरे जेहन में आईं...

5 comments:

Dr. Shorya said...

सही कहा सूरज कभी नाकाम नही होता

बहुत सुंदर लिखा है,शुभकामनाये

Dr ajay yadav said...

आदरणीया ,बड़ी उत्साह वर्धक बात आपने कहीं |

Dr.NISHA MAHARANA said...

waah .....bahut khoob ....

प्रतिभा सक्सेना said...

सुन्दर अभिव्यक्ति!

प्रतिभा सक्सेना said...

सुन्दर अभिव्यक्ति!