Wednesday, May 1, 2013

मजदूर लड़की....



आप जानते हैं इसे
ये मनीषा है....
हर कक्षा में जि‍से
प्रथम आने पर मि‍लता था पुरस्‍कार

'जो हवा हूं हवा मैं, बसंती हवा हूं'
के साथ-साथ
उतने ही लय में
झूम-झूम कर गाती थी
'हू हेज सीन द विंड'
और सबकी प्रशंसा पाती थी

कहते थे सभी गांव वाले
देखना...कि‍सी उंचे पद पर जाएगी
पैसे के संग
खूब नाम कमाएगी

हां...खूब नाम कमाया उसने
अब मनीषा नहीं,
'मुनि‍या' कहलाती है
और पूरे इलाके में जानी जाती है

लोग कहते हैं
बड़ी ही फुर्तीली है
दो मर्दों के करने लायक काम
अकेले ही करती है

बस एक ही कमी है
न हंसती है न बोलती है
लोगों के सपनों का घर बनाने के लि‍ए
अब वो र्इंट, गारा, सीमेंट ढोती है

बचपन के देखे अपने सपने को
'टि‍फि‍न बेला' में
रोटी संग आसुंओं में लपेट
रोज नि‍गलती है

उसने बेटी होने का फर्ज नि‍भाया है
दारू पी के पि‍ता के गुजरने के बाद
हाड़ तोड़ मेहनत कर
आठ जनों का कुनबा चलाया है

बाप की चि‍ता संग
अरमानों की चि‍ता भी जला आई है
आज मनीषा नहीं, मुनि‍या है, और
चूल्‍हा जलाने को उसकी गाढ़ी कमाई है.....

तस्‍वीर....मुनि‍या की, जो मेरे कहने पर खि‍लखि‍ला रही है

10 comments:

Jyoti khare said...

लोग कहते हैं
बड़ी ही फुर्तीली है
दो मर्दों के करने लायक काम
अकेले ही करती है------
मजदूर दिवस पर सार्थक
उत्कृष्ट प्रस्तुति


विचार कीं अपेक्षा
आग्रह है मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें
jyoti-khare.blogspot.in
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?

अरुन अनन्त said...

रश्मि जी चित्र को सुन्दरता से परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई

PAWAN VIJAY said...

भेद नही समुच्चय की बाते हो...
सुन्दर रचना

PAWAN VIJAY said...

भेद नही समुच्चय की बाते हो...
सुन्दर रचना

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
कृपया पधारें

Aparna Bose said...

'जो हवा हूं हवा मैं, बसंती हवा हूं'
के साथ-साथ
उतने ही लय में
झूम-झूम कर गाती थी
'हू हेज सीन द विंड'
और सबकी प्रशंसा पाती थी ....आज सुबह फेसबुक पे भी पढ़ी थी ...दुबारा पढ़ रही हूँ ...एक गरीब औरत के जीवन का कड़वा सच है ये ...बहुत ही मार्मिक

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

मजदूर दिवस पर सार्थक सुंदर प्रस्तुति,,,

RECENT POST: मधुशाला,

Harihar (विकेश कुमार बडोला) said...

बहुत ही विचारणीय।

कालीपद "प्रसाद" said...


मार्मिक ,पर मजदूरों की सचाई बयां करती रचना
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
lateast post मैं कौन हूँ ?
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देवेन्द्र पाण्डेय said...

कविता मार्मिक है,सार्थक है और तस्वीर में मुनियाँ के दाँत..उफ्फ!