Sunday, July 10, 2011

अच्‍छा लगता है


...अच्‍छा लगता है
तुमसे
कुछ सुनना
फिर बुनना
और कल्‍पनाओं की
चादर बना
चैन से ओढ़ना
क्‍योंकि
तुम जो देते हो
नि‍श्‍छल होता है
और उनमें
शंकाओं के
बुलबुले नहीं उठते
इसलि‍ए
अच्‍छा लगता है
तुमसे
कुछ सुनना

1 comment:

ashokjairath's diary said...

कुछ बहुत पुराना याद आया ...

सहमी सी चांदनी है
सहमी सी घटाएं हैं
सह्मे से नजारों में

इक तुम ही नज़र आये

मासूम और खूबसूरत बात , खुश रहो ...